ज्वर-बुखार ।
शरीर की तापवृद्धि
का नाम ही
ज्वर है ।
ज्वर सब रोगों
का राजा है
। जन्म और
मरण के समय
बुखार का कुछ-न-कुछ
अंश निश्चित ही
रहता है। शरीर
के जितने भी
रोग हैं, उन
सबों के साथ
ज्वर का होना
प्राय: संभव है।
ऐसे तो ज्वर
बहुत तरह के
होते है, पर
हम इस प्रकरण
से उन्हीं बुखारों
तथा उनके इलाजों
का वर्णन करेंगे,
जो अक्सर लोगों
को हुआ करते
हैं।
| मामूली बुखार - ठण्डा लगने,
गर्म शरीर को
तुरन्त ठण्ड लगने,
तेज धूप में
घूमने, वर्षा में भीगने,
चोट लगने, ज्यादा
परिश्रम करने, ज्यादा दिमागी
काम करने, रात
को जागने, खराब
जलवायु वाले स्थानों
में रहने, अनियमित
भोजन करने, ज्यादा
भोजन करने, अधिक
उपवास करने, मादक
पेय -- जैसे शराब,
ताडी वगैरह ज्यादा
पीने, किसी तरह
जहर के खून
में पहुँचने तथा
कब्जियत आदि से
साधारण ज्वर पैदा
होता है। यदि
पहले का संचय
किया हुआ विकार
शरीर में नहीं
रहा तो यह
मामूली बुखार दो-तीन
दिन में अपने
आप ही उतर
जाता है, किसी
दवा की जरुरत
नहीं पडती ; पर
शरीर में यदि
पहले से ही
विकार एकत्र हों
तो उनके कारण
यही बुखार अपना
उग्ररुप धारण कर
लेता है और
कभी-कभी कोई
भयंकर रोग भी
पैदा कर देता
है ; नहीं तो
उपर्युक्त कारणों से होनेवाला
साधारण बुखार तो शरीर
के और भी
विकारों को दूर
कर इसे नीरोग
कर देता है
। जब शरीर
में किसी तरह
का जहर व्याप्त
हो जाता है,
तो प्रकृति इसे
निकालने की व्यवस्था
स्वयं करती है,
यह साधारण बुखार
उसी व्यवस्था का
एक स्वरूप है
। मामूली | बुखार
१०२ डिग्री के
आसपास ही रहता
है । इसमें
सिर या सारे
बदन में दर्द
होता है ।
पेशाब का रंग
लाल होता है
और कम मात्रा
में होता है,
साथ ही बेचैनी
रहती है तथा
प्यास अधिक लगती
है ।
चिकित्सा -
बुखार के रोगी
को मुलायम बिस्तर
पर लिटा कर
देना चाहिए ।
खाने को नहीं
देना चाहिए। यदि
भूख खूब लगी
हो तो ज्वर
हालत में दूध-साबूदाना, चाय, मिश्री
आदि खूब हल्की
चीजें खाने को
चाहिए । अन्न
देना बिल्कुल मना
है। पीने के
लिये गर्म करके
खुब ठण्डा किया
जल जितना पी
सके, उतना देना
चाहिए; प्रत्येक बार गरम
पानी पिया ही
जाय तो दोष
पाचन होकर विशेष
लाभ होता है
। मिश्री का
शरबत, मौसमी का
रस, सो वाटर,
बर्फ का पानी
या डाभ (कच्चे
नारियल का पानी)
देना भी बहुत
अच्छा है ।
ज्यादा पानी पीने
से पेशाब हो
जाएगा । इस
बात को भूलना
न चाहिए कि
पेशाब के साथ,
पाखाने के साथ
और पसीने के
साथ शरीर का
जहर निकल कर
शरीर को जल्दी
नीरोग कर देता
है । अत:
इस प्रकार के
बुखार में प्राय:
दवाओं की जरुरत
ही नहीं पडती
। एक-दो
दिन आराम करने
से ही ज्वर
चला जाता है।
रोगी को साफ
और हवादार कमरे
में लिटाना चाहिए
। शारीरिक और
मानसिक किसी भी
प्रकार की मेहनत,
स्नान, स्त्री-प्रसंग बिल्कुल
मना है ।
रोगी को जब
पसीना आने लगे
तो उसे खादी
के तौलिये से
धीरे-धीरे पोंछ
देना चाहिए ऊपर
लिखी हुई तरकीब
हर प्रकार के
बुखार में लाभदायक
होती है ।
मामूली बुखार यदि एक-दो दिन
में अच्छा होता
दिखाई न पडे,
तो नीचे लिखी
हुई दवा का
सेवन करने से
ठीक हो जाएगा।
| पान का रस
६ ग्राम, अदरक
का रस ६
ग्राम, शहद ६
ग्राम, ये तीनों
चीजें मिलाकर सुबह-शाम दोनों
समय पी लेना
चाहिए । इससे
बुखार बहुत जल्द
दूर हो जाता
है । यदि
जुकाम या सर्दी-गर्मी का बुखार
हो तो नीचे
लिखा हुआ काढा
फायदेमन्द होगा यह
काढा हमारे कई
बार का परीक्षित
है।
| गुलबनफ्शा,
गाजवाँ, मुलेठी, गिलोय और
खूबकला- इन पांचों
चीजों को। बराबर
भाग लेकर २५
ग्रा. वजन करके
५०० ग्राम जल
में डाल कर
आग पर चढा
। देना चाहिए
। जब १२५
ग्राम पानी रह
जाय, तब छानकर
उसमें शेष १२
ग्राम, शहद या
मिश्री मिलाकर दो बार
में पी जाना
चाहिए ; सुबह और
शाम
मुताबिक काढा बनाकर
पीना जुकाम ठीक होकर
तबियत हल्की हो जाती
है। यदि दस्त
न होने की
शिकायत हों तो
इसी काढे में
१०-१५ नग
मुनक्का या २ दे
में १०-१५
नग मुनक्का या
२ से ५
नग अंजीर और
डाल देना चाहिए
। इस काढे
से बुखार या
जुकाम के साथ
होने वाली जुकाम
के साथ होनेवाली
खांसी भी तुरंत
अच्छी हो जाती
है। -गर्म की
वजह से होनेवाले
बुखार में २५
ग्राम खूबकलाँ का
ऊपर लिखे बनाकर
पीना बड़ा फायदेमन्द
होता है ।
गर्मी (ल) लगकर
जो वखार हो
उसमें कच्चे आम
को पुटपाक की
रीति से पका
कर और उसका
रस ५०० म
पानी में मिलाकर
पीना निहायत फायदेमन्द
है । गुलबनफ्शा
का शरबत पीना
बडा गुणदायक है।
ज्यादा परिश्रम के कारण
होनेवाले बुखार में खूब
आराम करना और
चित्त को प्रसन्न
रखना ही सर्वोत्तम
उपाय है ।
जल-वायु के
दोष से होने
वाले वखारों से
बचने का सबसे
अच्छा उपाय यह
है की फिटकरी
डालकर औंटा हुआ
साफ जल पीना
चाहिए और संयमनियम
से रहना चाहिए
। ऐसे स्थान
में जहाँ मच्छर
अधिक हो मसहरीमच्छरदानी
के भीतर सोना
उत्तम है। तुलसी
के पत्ते की
चाय भी हर
प्रकार के बुखार
में फायदा करती
है । बनाने
की विधि यह
है ।।
२० तुलसी के पत्ते,
२० काली मिर्च,
६ ग्राम अदरख
और जरा-सी
दालचीनी को २५०
ग्राम पानी में
डालकर खूब औटाना
चाहिए, उसके बाद
आग से उतार
कर उसे छान
लेना चाहिए, और
ऊपर से ३०
ग्राम मिश्री या
चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पी
जाना चाहिए।
| बुखार में मट्ठा
या दही या
शरबत पीना बहुत
फायदेमन्द होता है
। एक पाव
दही में एक
पाव पानी और
३० ग्राम चीनी
मिलाकर मथानी से अच्छी
तरह घोंट देने
से अच्छा शरबत
तैयार हो जाता
है । चीनी
की जगह नमक
जरा-सा डाला
जाय तो और
भी अच्छा है
। इसके पीने
से पेट ठण्डा
रहता है और
पेशाब साफ होती
है। | कब्जियत या
बदहजमी के कारण
होनेवाले बुखार में मामूली
जुलाब, पंचसकार चूर्ण ६
ग्राम को कुनकुने
गरम जल से
लेकर पेट साफ
करना बहुत अच्छा
है।
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