शरीर की अवहेलना कभी ना करनी चाहिए।
इसमें ही मिले परमब्रह्म इसे निर्मल रखना चाहिए।
मानुष देह में तेंतिस करोड़ देवता सदा बसते हैं ।
परमब्रह्म की जोत की वे रातदिन परिक्रमा करते हैं।
फुलसन्दे वाले बाबा कहते देह मंदिर का आदर करो।
उल्टा सीधा मत खाओ मत इसमें कबाड़ भरो॥
सतपुरूष बाबा फुलसन्दे वाले कहते हैं- ब्रह्मचर्य के पालन से बीमारी होती ही नहीं । कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगो पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।
कफ से पीड़ित हो अगर खाँसी बहुत सताय ।
नींबू के पत्तों का रस निकाल कर सूंघे
उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।
दालचीनी और इलायची सौंठ आधा-2 ग्राम पीसकर भोजन से
पूर्व सेवन करने से कब्ज दूर होकर भूख बढ़ जाती है।
शुगर के मरीज जामुन को खाने के बाद उसकी गुठली को
अच्छी तरह से धोकर धूप में सुखायें पीस कर उनका पाउडर बना
लें नित्य दो समय उसका सेवन करें लाभ अवश्य ही मिलेगा |
धनिया की पत्ती मसल बूंद नैन में डार ।
दुखती अँखियां ठीक हों पल लागें दो चार ।।
ठंडा पानी पियो मत करता कुर प्रहार |
करे हाजमे का सदा ये तो बंटाधार ।।
दही उड़द की दाल संग प्याज दूध के संग ।
जो खाँए एक साथ में जीवन हो बदरंग ।।
ऋतभुक, मितभुक, हितभुक |
ऋतु अनुसार, कम मात्रा में, हितकारक,
जो तुम्हारे शरीर को नुकसान दे
वो न खाओ, बार बार ना खाओ, मत ज्यादा खाओ,
खाते पीते बोलो मत नहीं तो पशु पिशाच जैसे कहलाओ ।
सदा मौन होकर प्रसन्नता पूर्वक भोजन करे ।
,- कान का दर्द सरसों का तेल हल्का गर्म
करके डालने से कान का दर्द दूर होता है।
प्याज का रस गुनगुना करके डालने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है।
अदरक का रस भी गुनगुना करके डालना काफी कारगर होता है।
एक चम्मच तिल के तेल में लहुसन की आधी कली
डालकर कुनकुना गरम करके दर्द वाले
कान में 4-4 बूंदे डालकर दूसरी करवट दस मिनट तक लेटे रहें।
एरंडी के पत्तों को गरम तिल के तेल में डुबोकर उससे कानों के आसपास हल्का सेंक करें |
कान से पस मवाद आता हो तो गुग्गुल का धुंआ कान पर लें ।
तुलसी के पत्तों को पीसकर रस निकाल थोड़ा गरम करें और
कान में डाले इससे कान का दर्द मिटता है।
सोंठ पीस कर देसी घी में भून कर रखलो दूध से लो अनेक बीमारी दूर ।
अमरूद तो खाओ अमरूद के पत्तो का काड़ा
पीने से अनेक रोग दूर होकर शरीर की सफाई हो जाती है ।
0 Comments